Friday, September 25, 2009

....आगरा में मुगल बादशाह अकबर का मकबरा। अजीमो शान शहंशाह जहां पर गहरी नींद सोया हुआ है। वहां पर रोजाना सैकड़ों लोग आते हैं। पहली बार देखने पर उसकी बुलंदी से ही बादशाह अकबर के बुलंद रुतबे का अहसास हो जाता है। पत्थरों पर लिखी इबारत से पता चलता है कि इसके निमार्ण की रूपरेखा अकबर ने अपने जीवनकाल में ही बनाई थी। अंदर जाने पर उसकी और भी कई खासियतें सामने आतीं हैं। मकबरा, जहां पर मरने के बाद किसी शख्स को दफन किया जाता है। ....अकबर महान जिसकी जिंदगी का एक बहुत बड़ा हिस्सा जंग के मैदान में बीता, उसके मकबरे पर मोहब्त की निशानियां भी मंडराती दिखाई दीं। बादशाह के मकबरे पर आने वाले लोगों में अधिकांश वह प्रेमी युगल थे, जो शहर की भीड़भा़ड़ से दूर एकांत की तलाश में यहां पर आते हैं। इन प्रेमी युगलों को शायद अकबर के जीवन काल और उसके शासन की गतिविधियों का अंदाजा न हो, लेकिन इतना जरूर मालूम है कि यह मकबरा अकबर का है और वह यहां पर सकून के साथ अपना वक्त बिता सकते हैं। कितनी अजीब बात है कि ताकत और फौजी कूबत के दम पर अपना साम्रज्य खड़ा करने वाले एक बादशाह की मजार पर जंग के पैरोकार नहीं बल्कि वहां पर मोहब्त के सिपहसालार सजदा करने आते हैं।

No comments: