Sunday, June 14, 2009

उठ कर जब तेरे आगोश से चलते हैं

उठ कर जब तेरे आगोश से चलते हैं
कैसे-कैसे ख्याल दिल में मचलते हैं
जैसे कोई मैयकश मैयकशी में बहकर
जैसे कोई बादल किसी जगह ठहरकर
जैसे कोई शायर गजल नई कहकर
और दीवाने तेरा ख्याल करते हैं
उठकर जब तेरे आगोश से चलते हैं

10 comments:

अजय कुमार झा said...

bahut sundar ...blogging mein swagat hai likhte rahein

Unknown said...

umda
bahut hi umda panktiyan !

गोविंद गोयल, श्रीगंगानगर said...

narayan narayan

राजेंद्र माहेश्वरी said...

accha hai

उम्मीद said...

आप की रचना प्रशंसा के योग्य है . आशा है आप अपने विचारो से हिंदी जगत को बहुत आगे ले जायंगे
लिखते रहिये
चिटठा जगत मे आप का स्वागत है
गार्गी

shama said...

Sundar rachana hai..!
Snehadar sahit
shama

"word verification"hata den to behtar hoga!

पंकज मिश्रा said...

bahoot accha hai deepak ji meri oor se badhaai.

दिल दुखता है... said...

हिंदी ब्लॉग की दुनिया में आपका हार्दिक स्वागत है......

संगीता पुरी said...

बहुत सुंदर…..आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्‍लाग जगत में स्‍वागत है…..आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्‍दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्‍दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्‍त करेंगे …..हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।

bhawna pandey said...

hum to nahin jaayeinge, hum to yahan aasan jamane aaye the .bhai hame aapka llikha abhi bahut kuch padhana hai.